बड़ी देर हुई इस पार Anurag Jaiswal
बड़ी देर हुई इस पार
Anurag Jaiswalखड़ा हुआ एकटक देखूँ
जीवन बहता ......बहता जाता है,
ख्वाबों की कई परछाईं सी
चमके हैं कभी, कभी धूमिल सी
उस पार से सदाएं आती हैं,
मन व्यथित पड़ा इस पार,
बड़ी देर हुई इस पार।
उस पार ही हलचल दिखती है
लहरें लहरें सी उठती हैं,
मौजों पर शान से तिरती हैं
ख्वाहिशो की सांसें चढ़ती हैं,
उस पार ही मुक्ति दिखती है,
हूँ बंधा खड़ा इस पार,
बड़ी देर हुई इस पार।
क्या जाने क्या कर जाऊँगा
किन अतिरेकों में पड़ जाऊँगा,
उस पार की नूतन दुनिया में
क्या खो दूँगा,क्या पाऊँगा,
इस पार तो बस वीराना सा,
साथी मेरा उस पार,
बड़ी देर हुई इस पार।