चंद्रयान 3 का धरती से प्रस्थान  Vivek Kumar

चंद्रयान 3 का धरती से प्रस्थान

Vivek Kumar

चंद्रयान 3 ने जब धरती से किया प्रस्थान,
चन्द्रमा की सतह देख वह रह गया हैरान।
कहीं बर्फ की चट्टानें थीं तो कहीं ऊबड़-खाबड़ रास्ते,
कहीं थे ज्वालामुखी तो कहीं बड़े-बड़े गड्ढे।
 

यह सब देख चंद्रयान 3 चकराया,
अपनी परेशानी वह चन्द्रमा को बताने आया,
बोला 4 वर्ष का परिश्रम लगा है यहाँ तक आने में,
न दिन देखे न रात देखी इसरो के वैज्ञानिकों ने।
अब जब यहाँ पहुँच गया हूँ भयभीत थोड़ा हो रहा,
आपकी सतह देख और मुश्किलों में घिर रहा,
कृपया मुझे मार्ग दिखाएँ जो इतिहास मैं रच जाऊँ,
दक्षिणी ध्रुव पर भारत की एक अमिट छाप छोड़ पाऊँ।
 

चन्द्रमा बोले,
तेरा यूँ व्याकुल होना ठीक है
क्योंकि आसान इतना मार्ग नहीं,
सफलता मिली ही कहाँ किसी को
आए तुझ से पहले देश कई।
पर यूँ तो परेशान ना हो,
आखिर घबराने से मुश्किलों का हल कैसे होगा,
140 करोड़ भारतवासियों का बल तुझमें,
जो भी होगा बहुत सुन्दर होगा।
 

अब अवतरण की तयारी कर
मैं विजयी माला ले आता हूँ,
इतिहास रचने जा रहा भारत
मैं यह ब्रह्माण्ड को सुनाता हूँ।
बस इतने प्रोत्साहन से चंद्रयान में
पुनः विश्वास जग गया,
ठहरा हुआ था अब तक जहाँ,
वहाँ से आगे बढ़ गया।
 

सहज अवतरण कर भारत ने
इतिहास रच डाला,
लहराई विजय की पताका चंद्रमा पर,
अभिमान का इतिहासी पृष्ठ लिख डाला।

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