वो लड़की  Pooja Singh

वो लड़की

Pooja Singh

समय आगे बढ़ता गया
मैं भी आगे बढ़ चली,
पर वो लड़की आज भी वहीं उसी मोड़ पे खड़ी है
जहाँ से दुनिया हँसी है, रंगीन है,
जहाँ से सारे नज़ारे सुनहले से हैं,
जहाँ प्यार के कोहरे से नज़र धुंधली सी है,
जगमगाती मुस्कराहट से दुनिया उजली सी है।
 

वो लड़की आज भी उसी मोड़ पे खड़ी है
जहाँ अलसाई वादियों में झरने की कलकल है,
जीवन के सुन्दर सपनों के आगाज़ हैं,
वह आज भी सोचती है सब कुछ अच्छा है
सब पर भरोसा करता दिल उसका बच्चा है।
 

मैं तो आगे बढ़ भीड़ में खो गई
लेकिन वो लड़की आज भी उसी मोड़ पे खड़ी है,
जहाँ दिल में सादगी और होंठो पे हँसी है,
कुछ बेवकूफी भरा अनायास सा हँसना
बातों में भोलापन, चाल में बचपना है।
 

मैं दुनियादारी में बँधी खुद से दूर होती रही
लेकिन वो मेरे साथ नहीं आई,
दुनिया के साथ आगे नहीं बढ़ी,
वह आज भी अपनी सपनों की दुनिया में खुश है,
वह आज भी बेफिक्री से हँसती है,
आज भी बात-बात पे रोती है,
इस पल को गुस्सा तो अगले पल मुस्कुराती है।
 

वह लड़की आज भी उसी मोड़ पे सपने देख खिलखिलाती है,
जीवन से भरी वो एक छोटी सी चिंगारी है,
अपने सपनों के पूरे होने पर उसे आज भी विश्वास है,
यही विश्वास मेरे जीवन का हौसला है,
वो लड़की मेरे दिल का खूबसूरत सा फैसला है।

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