हिंदी से सीखा  Sarita Patel

हिंदी से सीखा

Sarita Patel

न शब्द ज्ञान था, न था अक्षर ज्ञान,
थी मैं अबोध शून्य, कोई ना पहचान,
आवाज़ कैसे दूँ मैं भाव प्रकट कैसे करूँ,
विचारों में सही गलत का भान।
 

वस्तु से लेकर प्राणी तक, और धरती से
लेकर अंबर तक, अनेकता विविधता से
भरा हुआ, कैसे सामंजस्य स्थापित होगा
यह मूल ज्ञान मिला मुझे हिंदी से।
 

मैंने माँ समान हिंदी से सीखा बोलना,
चलना, आगे बढ़ कर भावों को व्यक्त करना,
बर्ताव, बड़ों से प्यार, स्नेह छोटों से, संस्कार
मिला हिंदी से, सीखा दिलों को जोड़ना।
 

लेखनी से मेरे भाव छूटे कोरे कागज़ पर,
हिंदी ने ही बताया मेरी अब कौन सी डगर,
भटके को राह मिली अस्तित्व को पहचान,
हिंदी ने दिखाया रहना ज़िन्दगी से निडर।

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