प्लास्टिक प्रदूषण Neelam Kushwaha
प्लास्टिक प्रदूषण
Neelam Kushwahaहर हाथ में दिखता प्लास्टिक,
सुन्दरता की माप है प्लास्टिक,
थैला छूटा, जूट का बना,
घर-आँगन में विष घोलता प्लास्टिक।
भोजन में घुलता प्लास्टिक,
पानी में मिलता प्लास्टिक,
कर्क रोग को देता न्योता,
क्यों कर रहा मानव समझौता ?
गली-कूचे, शहर में पसरा प्लास्टिक,
जीवन पर बोझ है प्लास्टिक,
नदियों के मुहाने लगा ढेर है,
न सड़ता, न गलता, मौत का संदेशा है प्लास्टिक।
देख कर थमती साँसें अवनी की,
हे ज्ञान शिरोमणि मनुष्य, मत फेर दृष्टी,
क्यों नष्ट करें आयुष्य भावी पीढ़ी की,
प्लास्टिक-मुक्त कर स्वयं को, गुहार लगाती सृष्टि।