करो मनन, लगाओ वन Rakhi Jain
करो मनन, लगाओ वन
Rakhi Jainमुझे याद आते हैं वह दिन
जब हवा सुहानी बालों से खेल जाती थी,
हर घर-आँगन में हरियाली थी,
हर सवेरे चिड़ियाँ चहचहाकर जगाती थीं।
पर पेड़ों के कट जाने से टूटा वह मीठा सपना,
अब नहीं सुनाई देता चिड़ियाओं का वह चहचहाना,
धरती माता प्यासी है, न बादल गरजकर बरसते हैं,
न मिट्टी की वह सौंधी खुशबू आती है!
रोका न अगर वनों का विनाश
जीवन में होगा त्रास ही त्रास,
अगर कट गए पेड़, तो होगी कैसे उन बिन बारिश!
सूख जाएँगे नदी-नाले सारे, जाएँगे कहाँ पशु पक्षी बेचारे,
अब सोचना होगा, इस विनाश को रोकना होगा।
हे मानव अब तो जागो जरा
वरना क्षमा न करेगी ये जीवनदायिनी धरा,
पेड़ों से मानव प्यार करो, मित्रों सा व्यवहार करो!
पेड़ लगाकर मानव तुम, खुद अपना उपकार करो!!
वन संरक्षण को अपनाना है, धरा को अपनी बचाना है।