जीवन CHANDRESH PRAGYA VERMA
जीवन
CHANDRESH PRAGYA VERMAजीवन में ‘प्यार’ ज़रूरी है,
‘तकरार’ तो चलती रहती है।
जीवन में ‘दोस्त’ ज़रूरी हैं,
‘दुश्मन’ तो मिलते रहते हैं।
जीवन में ‘परिणाम’ ज़रूरी हैं,
‘परीक्षाएँ’ तो होती रहती हैं।
जीवन में ‘ठहराव’ ज़रूरी है,
‘उतार-चढ़ाव’ तो आते रहते हैं।
जीवन में ‘रिश्ते’ होना ज़रूरी है,
‘रिश्तेदार’ तो बहुत सारे होते हैं।
जीवन में एक ‘ध्येय’ ज़रूरी है,
‘राहें’ तो बहुत मिल जाती हैं।
जीवन में ‘संघर्ष’ भी ज़रूरी है,
‘सफलता’ तो मिल ही जाती है।
जीवन में ‘अस्तित्व’ बेहद ज़रूरी है,
‘मृत्यु ‘तो स्वयं ही आ ही जाती है।