सपनों का आधार इंजी. हिमांशु बडोनी "दयानिधि"
सपनों का आधार
इंजी. हिमांशु बडोनी "दयानिधि"सुहाने सपनों से सजी दुनिया, बहुत ही ख़ूबसूरत होती है,
इस अमूर्त स्वार्थी दुनिया में, यह वास्तविक मूरत होती है।
दिन-भर की थकी हुई ऑंखों को, ये रात में राहत देती है,
चिंता का राक्षस दूर हटाकर, ये उम्मीदों को दावत देती है।
कभी सपने में दिखता है, जैसे मैं हर संपत्ति का स्वामी हूँ,
कभी हर प्रस्ताव का विरोधी, कभी सहमति और हामी हूँ।
कभी सपनों में मुझे मिलता, अकल्पनीय सुखद समाचार,
कभी स्वप्न देखकर दिनभर, मच जाती हृदय में हाहाकार।
एक स्वप्न की अनुभूति से, अपना मन हल्का हो जाता है,
आज सब सपनों का वर्णन, किस्सा कल का हो जाता है।
वास्तव में हमें पूरे स्वप्न का, केवल अंश याद रह जाता है,
अच्छे-बुरे के बीच रहकर, मनुष्य थोड़ी बात कह पाता है।
अनुभवों से निकली कल्पना, हमारे सपनों का आधार है,
विचारों का प्रतिबिम्ब हैं स्वप्न, जिनमें अनुभव सूत्रधार है।
सदा शुभ कहिए, शांतिपूर्वक रहिए, शब्दों से न हानि हो,
शुद्ध विचार, समग्र आचार, स्वप्न में अभिव्यक्त वाणी हो।
अपने विचार साझा करें
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह आजीवन जितने लोगों से मिलता या उनके सम्पर्क में रहता है, उन सभी के साथ उसका अप्रत्यक्ष रिश्ता स्थापित हो जाता है। उनकी संगति उसके विचार व व्यवहार को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। जिसका आभास उसे स्वप्न रूपी मनोवैज्ञानिक घटना के माध्यम से होता है। मनुष्य के जीवन में स्वप्न एक क्षणिक सुख की भांति होते हैं, जिनमें प्रस्तुत कल्पनाओं को साकार करने के लिए प्रत्येक मनुष्य प्रेरित होता है। किंतु हर बार अच्छे सपने दिखें, यह सम्भव नहीं है। इनका सीधा सम्बन्ध मनुष्य की मनोवृत्ति से होता है। जैसे होंगे विचार, वैसा ही होगा व्यवहार और वैसा ही होगा सपनों का आधार, इस कविता के माध्यम से बस इसी बात को कहने का प्रयास कवि द्वारा किया गया है।