अनंत यात्रा है जीवन इंजी. हिमांशु बडोनी "दयानिधि"
अनंत यात्रा है जीवन
इंजी. हिमांशु बडोनी "दयानिधि"कुछ परेशानियों से हार कर, जीवन को समाप्त कर लेते,
कुछ इनसे नित जूझते हुए, न्यूनतम को पर्याप्त कर लेते।
कुछ परीक्षण की कसौटी पर, दया की भीख माँग लेते हैं,
कुछ रहते हुए विफल, पुनः प्रयास की सीख माँग लेते हैं।
एक अनंत यात्रा है जीवन, इसमें दुर्गम-दूभर पड़ाव होंगे,
कभी खुशी-प्रगति की बेला, तो कभी दुःख व तनाव होंगे।
जो दुःख की धूप से लड़ता, सुखी वर्षा में भीगता वही है,
जो नहीं छोड़े अभ्यास का दामन, अंततः जीतता वही है।
मानव जिस पथ पे चला, विपत्तियों का पग भी पड़ा वहीं,
किन्तु विपत्तियों का विस्तार, उसके संकल्प से बड़ा नहीं।
उसका मूल भी उन्मूल होगा, रहे जो दृढ़ता से खड़ा नहीं,
बदले में वो ज़िंदगी हार गया, जो मुश्किलों से लड़ा नहीं।
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प्रत्येक जीव का जीवन एक रिक्त पृष्ठ से बनी पुस्तक की भांति होता है; श्वेत, स्वच्छ, अपठित एवं अलिखित। जैसे-जैसे मनुष्य की सामाजिकता सर्वस्व फैलती है एवं उसकी सम्पर्क की परिधि विस्तृत होती है, वैसे-वैसे विभिन्न घटनाओं, प्रसंगों एवं गतिविधियों का प्रत्यक्ष प्रभाव उस व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं जीवंतता के दृष्टिकोण पर पड़ता है। कुछ व्यक्तियों को लाभ-हानि, जय-पराजय, गुण-दोष, इत्यादि जैसे मापदंडों से कुछ ख़ास प्रभाव नहीं पड़ता। वहीं दूसरी ओर, कुछ व्यक्तियों पर असफलता, पराजय, नुक्ताचीनी, आलोचना एवं अन्य दुर्भावनाएं एवं आकस्मिक घटनाएं प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। प्रस्तुत कविता ऐसी मनोविकृति को सुधारते हुए, एक सकारात्मक संदेश संवहन करने का प्रयास करती है।