हृदय आँगन वो बसे Shobha Kumari
हृदय आँगन वो बसे
Shobha Kumariहृदय आँगन बसे वो जब से,
चन्द्र भी ना निहारी मैं तब से।
बन गए आराध्य देव वो जब से,
अर्घ्य दिया ना दिनकर को तब से।
हैं कौन वो ना पूछना कोई हम से,
होती सुबह ढलती साँझ हो जिनसे।