हिंदी क्या है?  Manisha Bhandari

हिंदी क्या है?

Manisha Bhandari

अनुप्रास, यमक, श्लेष का है जिसमें समावेश
माँ भारती की बेटी मैं, हिंदी मेरा परिवेश,
है जायसी का छंद यह, है निराला का ओज यह,
समृद्ध विरासत है इससे, है हिंद मेरा देश।
 

भारत की संस्कृति, संस्कारों का प्रतिबिंब है हिंदी,
माँ भारती के भाल पर अलंकृत श्रृंगार है हिंदी,
अद्भुत है इसकी क्षमता मन भावना को अभिव्यक्त करने की,
नौ रस से परिपूर्ण, साहित्य की वाटिका है हिंदी।
 

एकता बनी रहे, अखंडता बनी रहे, वह आशा है हिंदी,
तुलसी का हुआ जग में नाम, वह भाषा है हिंदी,
श्रृंगार लिखा बिहारी ने जिसमें और है हिंदी कबीरा की वाणी में,
हैं कालजयी रचनाएँ जिसमें, वह भाषा है हिंदी।
 

बदल रहा है वक्त जैसे, है छूट रहा हिंदी से नाता,
छंद, सोरठा और रसों का, कौन यहाँ अब रहा है ज्ञाता,
नव पीढ़ी में नहीं रही रुचि, हिंदी को पढ़ने-लिखने की,
अंग्रेजी को दे रहे महत्व, अब कौन यहाँ हिंदी को गाता।
 

करबद्ध निवेदन है सबसे
आँक इसे कम, मत इसका तुम अपमान करो,
हिंद देश में जन्मे हो, हिंदी पर तुम अभिमान करो,
करो अभिनंदन, करो आराधन, जलती रहे हिंदी की लौ,
बैठा सिंहासन पर इसको, निज भाषा का सम्मान करो।

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