आखिर वोदका पीनी पड़ी सुरेन्द्र सिरोहीवाल
आखिर वोदका पीनी पड़ी
सुरेन्द्र सिरोहीवालवो तन्वंगी लड़की,
सोफे पर तन्हा बैठी
इंग्लिश नॉवेल पढ़ती थी।
वो चाय जैसे कलर वाली लड़की
अपना वोदका की बोतल सा जिस्म लेकर
जब-जब भी चाय की मेज पर
मेरे साथ बैठती थी,
तब-तब मुझे चायखाने को कम
मयखाने का ज्यादा अहसास होता था,
वो अपनी मादक देह की परछाई से
चाय को शराब कर देती थी।
हजार बार कहा था
दूर रह, दूर रह, दूर रह
आखिरकार मुझे चाय छोड़नी पड़ी,
और वोदका पीनी पड़ी।