बस एक घंटा खुद के लिए!  Rakhi Jain

बस एक घंटा खुद के लिए!

Rakhi Jain

तुम उड़ो! तुम आनंद मनाओ!
तुम मस्ती करो! खुद को लाइवली रखो!
थोड़ी बहुत चीटिंग भी करो!
सिर्फ परिवार, पति और बच्चों का मत सोचो
अपने बारे में सोचना सीखो!
 

घर की देखभाल करती हो न?
अब खुद की भी करो!
तुम्हारे भीतर एक नटखट,
खुशमिजाज लड़की छुपी हुई है जी,
उसकी तारीफ करो।
 

अधिक नहीं,
लेकिन दिन का एक घंटा खुद के लिए रखो
और उस एक घंटे में,
जो तुम्हें अच्छा लगता है, वो करो।
तुम्हारे भीतर जो लड़की है न,
उसे कभी-कभी गलती करना भी
अच्छा लगता है, तो करो।
 

कोई फर्क नहीं पड़ता,
हर कोई अपने हिसाब से
खुशियाँ ढूँढ़ रहा है,
फिर तुम क्यों पीछे रहो!
सखियाँ बनाओ, खुद को व्यक्त करो।
 

कभी-कभी उस डायट चार्ट को
बाजू में रख दो,
मस्त बटर मस्तानी खाओ,
हो जाने दो जरा इधर-उधर,
कोई फर्क नहीं पड़ता।
लोग क्या सोचेंगे..माय फुट
बच्चों को कम मार्क्स आएँ कभी,
तो जाने दो ना।
 

उम्र हो गई है...अब क्या रखा है इसमें...
ऐसे शब्द कभी मत बोलो,
क्योंकि उम्र तो एक संख्या ही है जी,
खूब किया सबके लिए,
अब निकालो समय खुद के लिए,
तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान देख, यकीन है मुझे,
सारा घर हँसेगा जी।
 

एक बात याद रखना ..
तुम खुश नहीं रहोगी
तो घर को कैसे खुश रख पाओगी!

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