क्या-क्या लिखूँ मैं Aman Kumar Singh
क्या-क्या लिखूँ मैं
Aman Kumar Singhतेरे चेहरे का नूर,
तेरी अदाओं का सुरूर,
तेरी आँखों की अदाएँ,
तेरी जुल्फों की बलाएँ,
तेरा मस्त मौला अंदाज़,
या फिर तेरा सख्त मिज़ाज़,
क्या-क्या लिखूँ मैं?
और क्यों न लिखूँ मैं?
तुझसे वो हमारी मुलाकात,
हम दोनों में जो हुई वो सारी बात,
वो मेरे कंधे पर तेरा सिर,
वो तू मेरे साथ बेफिक्र,
वो एक पल का साथ,
मेरे हाथों में तेरा हाथ,
क्या-क्या लिखूँ मैं?
क्यों ना लिखूँ मैं?
तू सिर्फ दोस्त नहीं, तू तो जान है,
इसलिये सोचता हूँ सबकुछ लिखूँ मैं।