नेताजी और सियासत Anupama Ravindra Singh Thakur
नेताजी और सियासत
Anupama Ravindra Singh Thakurना जाने पढ़ाई,
ना आए लिखाई,
ना कोई काबिलियत,
ना कोई अच्छाई।
जाने क्या तिकड़म लड़ाई
चुनाव जीत गए बुद्धू भाई,
बिना मेहनत,
बिना लागत,
बन गए लल्लू जी
सरकारी जमाई।
इनका बेटा, इनकी लुगाई
इनका चाचा, इनका भाई
सभी लगे हैं खाने में
राजनैतिक, सरकारी मलाई।
अँगूठे पर लगाकर स्याही
शिक्षा मंत्री बनी लुगाई,
कर भ्रष्टाचार और बेईमानी
कानून मंत्री बने जमाई।
मंत्री पद के दावेदारी
बेटे ने तो विरासत में है पाई,
जनता के पैसों पर
सबने खूब लूट मचाई।
मुफ्त का पानी,
मुफ्त की बिजली,
चाहे जितनी जलाई,
इनकी सत्ता, इनकी राजशाही
जनता कर रही है भरपाई।
पीढ़ी दर पीढ़ी यहाँ बिताई
दीमक बन कर देश को खोखला
कर रही है पूनिया बाई,
गिद्द बनकर
नकोच रहे हैं पप्पूभाई।
हाथ जोड़कर,
वोट मांगने
मव्वाली, लुटेरों की
टोली आई
भोली जनता जानेगी
कब इनकी सच्चाई?