एक लहर फैली अनन्त की त्रिलोचन
एक लहर फैली अनन्त की
त्रिलोचन | शांत रस | आधुनिक कालसीधी है भाषा बसन्त की
कभी आँख ने समझी
कभी कान ने पाई
कभी रोम-रोम से
प्राणों में भर आई
और है कहानी दिगन्त की।
नीले आकाश में
नई ज्योति छा गई
कब से प्रतीक्षा थी
वही बात आ गई
एक लहर फैली अनन्त की।
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परिचय
"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।
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