ज्योति पर्व : ज्योति वंदना नरेन्द्र शर्मा
ज्योति पर्व : ज्योति वंदना
नरेन्द्र शर्मा | शांत रस | आधुनिक कालजीवन की अंधियारी
रात हो उजारी!
धरती पर धरो चरण
तिमिर-तम हारी
परम व्योमचारी!
चरण धरो, दीपंकर,
जाए कट तिमिर-पाश!
दिशि-दिशि में चरण धूलि
छाए बन कर-प्रकाश!
आओ, नक्षत्र-पुरुष,
गगन-वन-विहारी
परम व्योमचारी!
आओ तुम, दीपों को
निरावरण करे निशा!
चरणों में स्वर्ण-हास
बिखरा दे दिशा-दिशा!
पा कर आलोक,
मृत्यु-लोक हो सुखारी
नयन हों पुजारी!
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परिचय
"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।
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