शिवमंगल सिंह 'सुमन' 

जीवन परिचय

5 अगस्त सन् 1915 को उन्नाव ज़िले के झगरपुर ग्राम में जन्मे शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ हिन्दी गीत के सशक्त हस्ताक्षर हैं। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर तथा डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाले ‘सुमन’ जी ने अनेक अध्ययन संस्थाओं, विश्वविद्यालयों तथा हिन्दी संस्थान के उच्चतम पदों पर कार्य किया।
सन् 1974 में आपकी कृति ‘मिट्टी की बारात’ के लिए आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। इसी वर्ष में आपको भारत सरकार का पद्म श्री अलंकरण भी प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त भी अनेक पुरस्कारों व सम्मानों से सम्मानित ‘सुमन’ जी ने अनेक देशों में हिन्दी कविता का परचम लहराया।
‘हिल्लोल’, ‘जीवन के गान’, ‘युग का मोल’, ‘प्रलय सृजन’, ‘विश्व बदलता ही गया’, ‘विंध्य हिमालय ‘, ‘मिट्टी की बारात’, ‘वाणी की व्यथा’ और ‘कटे अंगूठों की वंदनवारें’ आपके काव्य संग्रह हैं।
हिन्दी कविता की वाचिक परंपरा आपकी लोकप्रियता की साक्षी है। देश भर के काव्य-प्रेमियों को अपने गीतों की रवानी से अचंभित कर देने वाले सुमन जी 27 नवंबर सन् 2002 को मौन हो गए।

लेखन शैली

‘हिल्लोल’, ‘जीवन के गान’, ‘युग का मोल’, ‘प्रलय सृजन’, ‘विश्व बदलता ही गया’, ‘विंध्य हिमालय ‘, ‘मिट्टी की बारात’, ‘वाणी की व्यथा’ और ‘कटे अंगूठों की वंदनवारें’ शिवमंगल सिंह सुमन जी के काव्य संग्रह हैं। इसके अतिरिक्त ‘महादेवी की काव्य साधना’ नाम से आपने आलोचना साहित्य भी लिखा है। ‘उद्यम और विकास’ शीर्षक से आपका गीति काव्य भी प्रकाशित हुआ और आपने ‘प्रकृति पुरुष कालिदास’ नामक नाटक भी  लिखा।

प्रमुख कृतियाँ
क्रम संख्या कविता का नाम रस लिंक
1

मृत्तिका दीप

अद्भुत रस
2

रणभेरी

वीर रस
3

सहमते स्वर-4

शांत रस
4

सांसों का हिसाब

अद्भुत रस
5

सूनी साँझ

शृंगार रस
6

मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ 

वीर रस
7

सहमते स्वर-2 

अद्भुत रस
8

हम पंछी उन्मुक्त गगन के

शांत रस
9

असमंजस

शांत रस
10

चलना हमारा काम है

अद्भुत रस
11

सहमते स्वर-1

शांत रस
12

विवशता

शांत रस
13

मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार

शृंगार रस
14

वरदान माँगूँगा नहीं

वीर रस
15

चल रही उसकी कुदाली

अद्भुत रस
16

बात की बात

करुण रस
17

मिट्टी की महिमा 

अद्भुत रस
18

आभार

शांत रस
19

सहमते स्वर-3

अद्भुत रस
20

तूफानों की और घुमा दो नाविक निज पतवार

वीर रस
21

सहमते स्वर-5 

शांत रस
22

मैं अकेला और पानी बरसता है

शृंगार रस
23

पर आँखें नहीं भरीं

शृंगार रस
24

अंगारे और धुआँ

अद्भुत रस
25

मेरा देश जल रहा,कोई नहीं बुझानेवाला

करुण रस
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