काश की ज़ेहन में चल रहा हर खयाल लफ़्ज़ों में पिरोया जाना मुमकिन होता...
मैं शक्ति हूँ
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मैं सबसे पहले खुदकी सगी
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यही सिखाया गया है
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वो मेरा कातिल
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क्या याद है तुमको
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जब तू गया
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मेरे राज़
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कल फिर
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असल हाल
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