कल फिर अदिति शर्मा
कल फिर
अदिति शर्माकल फिर भीड़ में संभलना होगा,
कल फिर हँसकर दिखाना है,
कल फिर ज़ख्मी हो जाऊँ लेकिन,
कल फिर मरहम लगाना है।
कल फिर मज़बूत बनना पड़ेगा,
कल फिर अकेले में बिखरना है,
कल फिर तमाशा होगा शायद,
कल फिर ख़यालो से लड़ना है।
कल फिर दिन में अंधेरा होगा,
कल फिर शैतानों से बचना है,
कल फिर चुभेंगी साँसें सीने में,
कल फिर कांटों पर चलना है।
कल फिर हाल पूछेगी दुनिया,
कल फिर झूट ही कहना होगा,
कल फिर लफ़्ज़ों के हमले होंगे,
कल फिर सब कुछ सहना होगा।
कल फिर दिमाग चीखेगा मुझ पर,
कल फिर शांत खुद को रखना है,
कल फिर आँखें दुखेंगी मेरी,
कल फिर नींद से जगना है।