कुछ रुप नए दिखलाना है  Jay Singh Yadav

कुछ रुप नए दिखलाना है

Jay Singh Yadav

हे जीवन इतना बतला दे ये रूप कहाँ से पाया है,
पग-पग जो रूप बदल लेता ये शिल्प कहाँ से लाया है।
दे-दे अब तू रूप मुझे भी कुछ रूप नए दिखलाना है,
हर दागी चेहरे को वो दाग मुझे दिखलाना है।
 

कुछ ने बिछाए राह में काँटे, कुछ ने बिछाए है सूली,
कुछ ने जख्मों का अंगार दिया, कुछ ने मुझ पे वार किया।
कुछ ने तोड़े हैं ख्वाब मेरे कुछ ने दुश्मन का साथ दिया,
दे-दे अब तू रूप मुझे कुछ रूप नए दिखलाना है।
 

कुछ ने मायूस किया मुझको कुछ ने किया निराश है मुझको,
कुछ ने दी विष की पुड़िया कुछ ने दिया है दुख अपार,
कुछ ने लगा दिया इल्जाम कुछ ने किया है शर्मशार,
दे-दे अब तू रूप मुझे कुछ रूप दिखलाना है।
 

कुछ ने घोंपे हैं खंजर कुछ ने विश्वासघात किया है,
कुछ ने तोड़े वादे हैं कुछ ने नजर अंदाज किया है,
कुछ ने छीनी खुशियाँ मेरी कुछ ने छीनी मुस्कान मेरी,
दे-दे अब तू रूप मुझे कुछ रूप नए दिखलाना है।

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