ठहरे हुए पानी में आग लगाना आता है सलिल सरोज
ठहरे हुए पानी में आग लगाना आता है
सलिल सरोजउनको आँखों से इश्क़ जताना आता है,
ठहरे हुए पानी में आग लगाना आता है।
हमको पता नहीं अभी हुश्न की बारीकियाँ,
और उनको हर अदा को नाज़ों-हया बताना आता है।
हम शर्म से उबर ही नहीं पाए आज तलक़,
उनको हर बात पर हक़ जताना आता है।
सारी उम्र हम राहे-मंज़िल में ही रह गए,
और उनको हारी हुई बाज़ी जीताना आता है।
हमने बस इतना ही सीखा तारीख़े-मोहब्बत में,
महबूब की सदाओं पे मर जाना आता है।