मुझे मत दिखा अभी ये चाँद सितारे सलिल सरोज
मुझे मत दिखा अभी ये चाँद सितारे
सलिल सरोजमुझे मत दिखा अभी ये चाँद सितारे,
मैं किसी की निगाहों से अभी उबरा नहीं हूँ।
जबसे तुम्हारी निगाहों का सूरमा है मेरी आँखों में,
तब से फिर खुद को मैने सँवारा नहीं है।
मत कर मुझे इतिहास में यूँ तो दफ़्न अभी,
मैं पुराना लम्हा तो हूँ पर अभी गुज़रा नहीं हूँ।
मुझमें मौजूद है मिठास इस बूढ़े पेड़ की,
जड़ से दूर तो हूँ पर डाली से बिछड़ा नहीं हूँ।
शहर ने अपनी चकाचौंध से तुमको बेगाना कर दिया,
मैं बेचारा बिछड़ा हुआ गाँव हूँ, पर उजड़ा नहीं हूँ।