रिश्ते निभाने में बहुत वक़्त लगता है सलिल सरोज
रिश्ते निभाने में बहुत वक़्त लगता है
सलिल सरोजरिश्ते निभाने में बहुत वक़्त लगता है,
सो हर एक से ही फासला बनाते रहिए।
कितनी तामील हो पाएगी, मलाल नहीं,
आप तो रोज़ नया फैसला सुनाते रहिए।
खुद ही कहिए और खुद ही सुना कीजिए,
इस तरह अपना हौसला जुटाते रहिए।
कभी घर के अन्दर, कभी घर के बाहर,
अपनी हरकतों से मसला बढ़ाते रहिए।
ज़मीनें बंजर हो गईं वायदों की बारिश से,
माहौल तैयार है,असला गिराते रहिए।