इंसानियत क्या है सलिल सरोज
इंसानियत क्या है
सलिल सरोजमेरी बातों पे गौर कीजिए जरा,
समझिए, फिर दाद दीजिए जरा।
कब तक यूँ दूसरों पे हँसा करेंगे,
कोई लतीफा खुद पे भी लीजिए जरा।
क्या करेंगे पाकर बेमानी दौलत,
चाँद पाईये और फिर खीजिए जरा।
खुशी का मतलब पता तब चले,
गमों के आँसू जब पीजिए जरा।
इंसानियत क्या है, समझ जाएँगे,
ताकत हाथ में हो पर पसीजिए जरा।