उसकी आँखों में कहीं गंगाजल रहता है  सलिल सरोज

उसकी आँखों में कहीं गंगाजल रहता है

सलिल सरोज

न जाने क्यूँ मैं अक्सर ही भटक जाता हूँ,
उसकी आँखों में कोई तो जंगल रहता है।
 

और फिर मैं भटकता नहीं तो क्या करता,
उन आँखों में भरा-भरा काजल रहता है।
 

जब भी आईना देखते होंगे, वो सोचते होंगे,
इन आँखों में न जाने कौन पागल रहता है।
 

मैं उसको छू भी लूँ, मैं उसको पी भी लूँ,
उसकी आँखों में कहीं गंगाजल रहता है।

अपने विचार साझा करें




1
ने पसंद किया
1321
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com