न जाने फ़िज़ाओं में क्या हुआ होगा सलिल सरोज
न जाने फ़िज़ाओं में क्या हुआ होगा
सलिल सरोजन जाने फ़िज़ाओं में क्या हुआ होगा,
जब संदली हवाओं ने तुमको छुआ होगा।
आँखें लज़्ज़त, लब चाशनी, गाल गिलोई,
मिल कर तुम से हरकत में हर रूआँ होगा।
जो देखे तुमको तुम में डूब जाया करे है,
शर्तिया ही इस बदन में कोई कुआँ होगा।
ऊँगलियाँ ठहर नहीं पाती उसकी तस्वीर पे भी,
पानी के बदन पे मानो बिखरता धुआँ होगा।
उसको जीत जाएँ तो फिर सब हार जाएँ,
वो ज़िन्दगी का सबसे खूबसूरत जुआ होगा।