ज़मीर में सलामत मुआमला रखिए सलिल सरोज
ज़मीर में सलामत मुआमला रखिए
सलिल सरोजहर रिश्ते में थोड़ा फासला रखिए,
अभी से ही सही ये फैसला रखिए।
दूरियाँ खलेंगी लेकिन खिलेंगी भी,
अपने अहसासों पर हौसला रखिए।
हर कोई तो ख़ुशी का कायल नहीं,
हर घड़ी कोई नया मसअला रखिए।
सीख जाएँगें दिल बहलाने का हुनर,
हर मौसम में ही नया जुमला रखिए।
तय हो जाएँगी ऐसे हर कठिन डगर,
ज़मीर में सलामत मुआमला रखिए।