जीत जाने की बस इतनी सी शर्त है सलिल सरोज
जीत जाने की बस इतनी सी शर्त है
सलिल सरोजघर तो है, पर घर इसे कहता कौन है,
सब मुर्दे हैं यहाँ, इसमें रहता कौन है।
सब काइल हैं अपनी ज़िंदगी के यहाँ,
किसी के लिए अब मरता कौन है।
माद्दा समय के साथ चलने में नहीं है,
देखें वक़्त के खिलाफ बहता कौन है।
ख़ुशी में तो कायनात साथ रहती है,
सवाल है, ग़म साथ सहता कौन है।
माँ अपनी हर औलाद को चाहती है,
पर बच्चों में माँ को चाहता कौन है।
जीत जाने की बस इतनी सी शर्त है,
कि सबसे आखिर में डरता कौन है।