कालजयी कविताएँ

हिंदी साहित्य की कालजयी कविताओं का संकलन





सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

नयनों के डोरे लाल-गुलाल भरे

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1353  1

पद्माकर

आरस सोँ रस सोँ

पद्माकर

शृंगार रस | रीतिकाल

 1085  0

गोपालदास ‘नीरज’

इसीलिए तो नगर -नगर

गोपालदास ‘नीरज’

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 1018  0

महादेवी वर्मा

वे मधु दिन

महादेवी वर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1226  0

रामधारी सिंह 'दिनकर'

कुरुक्षेत्र / तृतीय सर्ग / भाग 3

रामधारी सिंह 'दिनकर'

वीर रस | आधुनिक काल

 1251  0

भारतेंदु हरिश्चंद्र

मुकरियाँ 

भारतेंदु हरिश्चंद्र

हास्य रस | आधुनिक काल

 2518  0

देव

कुँजन के कोरे मनु केलिरस बोरे लाल

देव

शृंगार रस | रीतिकाल

 1103  0

शिवमंगल सिंह 'सुमन'

बात की बात

शिवमंगल सिंह 'सुमन'

करुण रस | आधुनिक काल

 1453  0

रामधारी सिंह 'दिनकर'

रोटी और स्वाधीनता

रामधारी सिंह 'दिनकर'

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 1216  0

केशव

कारे कारे तम कैसे पीतम

केशव

अद्भुत रस | रीतिकाल

 1046  0

ठाकुर

मेवा घनी बई काबुल में,

ठाकुर

अद्भुत रस | रीतिकाल

 1117  0

गुलाब खंडेलवाल

साज नहीं सजता है

गुलाब खंडेलवाल

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 994  0

मीराबाई

हे री मैं तो प्रेम-दिवानी

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1461  0

रहीम

श्रंगार-सोरठा

रहीम

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1433  0

नक्श लायलपुरी

मैं दुनिया की हक़ीकत जानता हूँ

नक्श लायलपुरी

शांत रस | आधुनिक काल

 982  0

महादेवी वर्मा

पूछता क्यों शेष कितनी रात

महादेवी वर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1173  0

श्यामनारायण पाण्डेय

चेतक की वीरता 

श्यामनारायण पाण्डेय

वीर रस | आधुनिक काल

 2534  0

त्रिलोचन

त्रिलोचन चलता रहा

त्रिलोचन

करुण रस | आधुनिक काल

 1071  0

रामधारी सिंह 'दिनकर'

लोहे के पेड़ हरे होंगे 

रामधारी सिंह 'दिनकर'

वीर रस | आधुनिक काल

 5328  1

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

अट नहीं रही है

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 1122  0

नक्श लायलपुरी

अपनी भीगी हुई पलकों पे सजा लो मुझको

नक्श लायलपुरी

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1188  0

रामचंद्र शुक्ल

रानी दुर्गावती

रामचंद्र शुक्ल

वीर रस | आधुनिक काल

 3031  0

नरेन्द्र शर्मा

प्रयाग

नरेन्द्र शर्मा

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 906  0

गुलाब खंडेलवाल

रात सुन ली थी तान तुम्हारी 

गुलाब खंडेलवाल

शांत रस | आधुनिक काल

 951  0

धर्मवीर भारती

क्या इनका कोई अर्थ नहीं

धर्मवीर भारती

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 1028  0

महाकवि बिहारीलाल

जानत नहिं लगि मैं

महाकवि बिहारीलाल

शृंगार रस | रीतिकाल

 1124  0

तुलसीदास

हरि! तुम बहुत अनुग्रह किन्हों

तुलसीदास

अद्भुत रस | भक्तिकाल

 1266  0

बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'

अरे तुम हो काल के भी काल

बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'

वीर रस | आधुनिक काल

 3782  0

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

केवल मन के चाहे से ही

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

शांत रस | आधुनिक काल

 1056  0

महादेवी वर्मा

आओ, प्यारे तारो आओ

महादेवी वर्मा

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 1084  0



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