काव्यशाला - श्रृंगार रस की कविताएं

हिंदी साहित्य के श्रृंगार रस की कालजयी कविताओं का संकलन





आज मौसम बड़ा बेईमान है

आनंद बख़्शी

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1696  0

आदमी मुसाफ़िर है

आनंद बख़्शी

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1513  0

जासों प्रीति ताहि निठुराई

घनानंद

शृंगार रस | रीतिकाल

 1487  0

नागमती वियोग खंड 

मलिक मोहम्मद जायसी

शृंगार रस | भक्तिकाल

 2263  0

मोहिबो निछोहिबो सनेह में तो नयो नाहिं

रहीम

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1473  0

पावस रितु बृन्दावनकी

महाकवि बिहारीलाल

शृंगार रस | रीतिकाल

 1446  0

लोक-लाज तजि नाची

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1953  0

उलझी हुई रातें मिलीं

सोम ठाकुर

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1654  0

माहि सरोवर सौरभ लै

महाकवि बिहारीलाल

शृंगार रस | रीतिकाल

 1207  0

पत्र तुम्हारे नाम

सोम ठाकुर

शृंगार रस | आधुनिक काल

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रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ

महाकवि बिहारीलाल

शृंगार रस | रीतिकाल

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फूले आसपास कास विमल

श्रीपति

शृंगार रस | रीतिकाल

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आज मदहोश हुआ जाए रे

गोपालदास ‘नीरज’

शृंगार रस | आधुनिक काल

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राखौ कृपा निधान

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1729  0

पिया चली फगनौटी

रांगेय राघव

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1065  0

मेरे नयना भये चकोर

भारतेंदु हरिश्चंद्र

शृंगार रस | आधुनिक काल

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पथ देख बिता दी रैन

महादेवी वर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

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सजनि कौन तम में परिचित सा

महादेवी वर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

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मधुपुर के घनश्याम अगर

गोपालदास ‘नीरज’

शृंगार रस | आधुनिक काल

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शलभ मैं शपमय वर हूँ

महादेवी वर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

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घन गरजे

बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'

शृंगार रस | आधुनिक काल

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मैं बैरागण हूंगी

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1580  0

तुम्हें मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा

कुमार विश्वास

शृंगार रस | आधुनिक काल

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प्रीति करि काहु सुख न लह्यो

सूरदास

शृंगार रस | भक्तिकाल

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बिरहानल दाह दहै तन ताप

महाकवि बिहारीलाल

शृंगार रस | रीतिकाल

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साजन! होली आई है!

फणीश्वर नाथ रेणु

शृंगार रस | आधुनिक काल

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चाह भरो चंचल हमारो चित्त

पद्माकर

शृंगार रस | रीतिकाल

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चारु चंद्र की चंचल किरणें

मैथिलीशरण गुप्त

शृंगार रस | आधुनिक काल

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एक आँसू गिरा सोचते-सोचते

नक्श लायलपुरी

शृंगार रस | आधुनिक काल

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सारा बदन हयात की ख़ुशबू से भर गया

आलोक श्रीवास्तव

शृंगार रस | आधुनिक काल

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