काव्यशाला - श्रृंगार रस की कविताएं

हिंदी साहित्य के श्रृंगार रस की कालजयी कविताओं का संकलन





भोर तें साँझ लौ कानन ओर निहारति 

घनानंद

शृंगार रस | रीतिकाल

 1139  0

पर आँखें नहीं भरीं

शिवमंगल सिंह 'सुमन'

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1479  0

वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि, वहै

घनानंद

शृंगार रस | रीतिकाल

 1165  0

वा निरमोहिनि रूप की रासि न

ठाकुर

शृंगार रस | रीतिकाल

 1159  0

आवन सुन्यो है मनभावन को भावती ने 

देव

शृंगार रस | रीतिकाल

 1140  0

बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ

महादेवी वर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1320  0

प्रिय आत्मन

विष्णु प्रभाकर

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1087  0

तुम भी बोलो, क्या दूँ रानी

नरेन्द्र शर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1224  0

आएगी आएगी आएगी किसी को

आनंद बख़्शी

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1086  0

श्याम मोसूँ ऐंडो डोलै हो

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1201  0

माना तेरी नज़र में तेरा प्यार हम नहीं

नक्श लायलपुरी

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1140  0

बात करनी है

कुमार विश्वास

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1410  0

छवि को सदन मोद मंडित

घनानंद

शृंगार रस | रीतिकाल

 1149  0

तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या

महादेवी वर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1264  0

जो मुखरित कर जाती थीं

महादेवी वर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1157  0

प्रेमा नदी

सोम ठाकुर

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1095  0

सुघर सलोने स्याम सुंदर सुजान कान्ह

जगन्नाथदास 'रत्नाकर'

शृंगार रस | रीतिकाल

 1164  0

झलकै अति सुन्दर आनन गौर

घनानंद

शृंगार रस | रीतिकाल

 1099  0

अब विदा लेता हूँ

पाश

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1156  0

कमल-दल नैननि की उनमानि

रहीम

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1208  0

बौरसरी मधुपान छक्यौ

महाकवि बिहारीलाल

शृंगार रस | रीतिकाल

 1179  0

तुम्हारी छत पे निगरानी बहुत है

कुमार विश्वास

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1473  0

ऐसा भी होगा 

भवानी प्रसाद मिश्र

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1106  0

आँगन बैठी सुन्यो

देव

शृंगार रस | रीतिकाल

 1117  0

प्राण अधार

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1370  0

मैं अपनौ मनभावन लीनों

महाकवि बिहारीलाल

शृंगार रस | रीतिकाल

 1195  0

पवन ने कहा

कुमार विश्वास

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1324  0

बैठे भंग छानत अनंग-अरि रंग रमे

जगन्नाथदास 'रत्नाकर'

शृंगार रस | रीतिकाल

 1015  0

जल भरे झूमैं मानौं भूमैं परसत आप

श्रीपति

शृंगार रस | आधुनिक काल

 979  0

नहिं भावै थांरो देसड़लो जी रंगरूड़ो

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1157  0



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