काव्यशाला - श्रृंगार रस की कविताएं

हिंदी साहित्य के श्रृंगार रस की कालजयी कविताओं का संकलन





भोर तें साँझ लौ कानन ओर निहारति 

घनानंद

शृंगार रस | रीतिकाल

 1448  0

पर आँखें नहीं भरीं

शिवमंगल सिंह 'सुमन'

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1788  0

वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि, वहै

घनानंद

शृंगार रस | रीतिकाल

 1469  0

वा निरमोहिनि रूप की रासि न

ठाकुर

शृंगार रस | रीतिकाल

 1490  0

आवन सुन्यो है मनभावन को भावती ने 

देव

शृंगार रस | रीतिकाल

 1444  0

बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ

महादेवी वर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1646  0

प्रिय आत्मन

विष्णु प्रभाकर

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1319  0

तुम भी बोलो, क्या दूँ रानी

नरेन्द्र शर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1581  0

आएगी आएगी आएगी किसी को

आनंद बख़्शी

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1420  0

श्याम मोसूँ ऐंडो डोलै हो

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1530  0

माना तेरी नज़र में तेरा प्यार हम नहीं

नक्श लायलपुरी

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1567  0

बात करनी है

कुमार विश्वास

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1835  0

छवि को सदन मोद मंडित

घनानंद

शृंगार रस | रीतिकाल

 1456  0

तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या

महादेवी वर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1607  0

जो मुखरित कर जाती थीं

महादेवी वर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1445  0

प्रेमा नदी

सोम ठाकुर

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1432  0

सुघर सलोने स्याम सुंदर सुजान कान्ह

जगन्नाथदास 'रत्नाकर'

शृंगार रस | रीतिकाल

 1360  0

झलकै अति सुन्दर आनन गौर

घनानंद

शृंगार रस | रीतिकाल

 1432  0

अब विदा लेता हूँ

पाश

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1497  0

कमल-दल नैननि की उनमानि

रहीम

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1619  0

बौरसरी मधुपान छक्यौ

महाकवि बिहारीलाल

शृंगार रस | रीतिकाल

 1405  0

तुम्हारी छत पे निगरानी बहुत है

कुमार विश्वास

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1749  0

ऐसा भी होगा 

भवानी प्रसाद मिश्र

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1370  0

आँगन बैठी सुन्यो

देव

शृंगार रस | रीतिकाल

 1348  0

प्राण अधार

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1714  0

मैं अपनौ मनभावन लीनों

महाकवि बिहारीलाल

शृंगार रस | रीतिकाल

 1522  0

पवन ने कहा

कुमार विश्वास

शृंगार रस | आधुनिक काल

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बैठे भंग छानत अनंग-अरि रंग रमे

जगन्नाथदास 'रत्नाकर'

शृंगार रस | रीतिकाल

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जल भरे झूमैं मानौं भूमैं परसत आप

श्रीपति

शृंगार रस | आधुनिक काल

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नहिं भावै थांरो देसड़लो जी रंगरूड़ो

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1507  0



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