दादू की सीख  PREM KUMAR KULDEEP

दादू की सीख

देश के स्वच्छता अभियान को सार्थक परिभाषित करती हुई एक छोटी सी कहानी जो दादा और पोते के आपसी सामंजस्य और प्यार को बढ़ाती है और यह दर्शाती है कि बच्चों को किस तरह सादगी के साथ भी सीख दी जा सकती है। यह छोटी सी कहानी स्वच्छता का बड़ा सन्देश देश को दे रही है साथ ही सड़क पर चलते वक्त बहुत सी चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए इसकी भी सीख देती है।

विजय कृष्ण सारथी हिमाचल प्रदेश के एक सुन्दर गाँव के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। वह खुद एक शिक्षक होने के साथ-साथ गाँव के हर सुख-दुःख में एवं समाज सेवा से जुड़े रहते थे। वह बिना किसी जाति-धर्म की भिन्नता के लोगों की मदद के लिये हमेशा तत्पर रहते थे, मानवता की सेवा को ही वे अपना सबसे बड़ा कर्म और धर्म समझते थे और पूरे जीवन में उसी सूत्र में दृढ विश्वास करते थे। कई कट्टरपंथी लोग उनका विरोध और उपहास करते थे पर विजयकृष्ण सारथी उनकी बातों पर ध्यान न देकर अपने उद्धेश्य में लगे रहते थे। अच्छा-खासा सुखी-समृद्ध परिवार था उनका, खुद उनका परिवार और परिवार की महिलाएँ आदि सभी शिक्षित थे, उनके एक पुत्र एवं एक पुत्री थी। पुत्री व्यवसायिक प्रबंधन में मास्टर डिग्री करके अपने पति के साथ विदेश में काम करती थी, पुत्र इंजिनीरिंग करके बंगलोर में एक अच्छे सरकारी विभाग में काम कर रहा था। हालाँकि वो अपने गाँव में ही मस्त रहते थे पर अपने पुत्र और प्रपोत्र द्वारा बहुत आग्रह करने के कारण कुछ दिनों के लिए बंगलोर चले गए।

वह अपने पुत्र-पुत्रवधू एवं प्रपोत्र के साथ मजे से बंगलोर में रह रहे थे, आराम से घूमना-फिरना हो रहा था, पोते के साथ बहुत खुश थे। उसके साथ स्कूल आना-जाना, बाजार जाना, खिलौने लाना, कपड़े खरीदना आदि में बड़े मशगूल थे।

एक दिन विजय कृष्ण सारथी पोते के साथ सड़क पर घूम रहे थे और दोनों दादा-पोते केले खाने का मजा ले रहे थे। पोते ने एक केले का छिलका सड़क पर फ़ेंक दिया तो विजय कृष्ण ने पोते को समझाते हुए कहा बेटे केले खाकर इस तरह छिलका सड़क पर नहीं फेंकते हैं, कोई फिसल गया तो उसके चोट भी आ सकती है। वो केले का छिलका उठाने ही वाले थे कि उनकी पोती जोगिंग करती हुई आई और उसका पाँव छिलके पर पड़ने ही वाला था की विजय कृष्ण ने उसे संभाल लिया। फिर उन्होंने पोते से कहा देखो अमन आपकी छोटी सी गलती के कारण अभी दीदी गिर सकती थी। उन्होंने दोनों बच्चों के आगे समझाते हुए कहा कि बेटे इस तरह कोई भी कचरा आदि सड़क पर नहीं फेंकना चाहिए। हमारा देश स्वच्छता के एक बड़े अभियान पर आगे बढ़ रहा है और हम सभी को भी इसमें सहयोग देना चाहिए। साथ ही उन्होंने सड़क पर चलते वक्त बहुत सी चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए इसकी भी सीख दी।

दोनों बच्चों को यह बात अच्छे से समझ में आ गई और उन्होंने स्वच्छता बनाए रखने और कचरा, प्लास्टिक आदि इधर-उधर नहीं फेंकने का संकल्प लिया और दोनों बच्चों ने अपने दादाजी को भी अच्छे से समझाने के लिए धन्यवाद दिया।

आप स्वयं स्वच्छ रहे, देश में स्वच्छता बनाए रखने में सहयोग दें।

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