अनोखा रिश्ता - १ (डायरी) Anil Shukla
अनोखा रिश्ता - १ (डायरी)
प्रेम एवं विश्वास से भरी एक अनोखी प्रेम कहानी।
शाम का समय था, लगभग 7 बजे होंगे, एक टेबल पर बैठा करन कॉफी पी रहा था। चारों ओर लोग बैठे हुए थे, हल्की-हल्की नीली रोशनी हो रही थी। करन की उम्र लगभग 30 के आसपास होगी। गोरा रंग, मासूम सा चेहरा, चेहरे पे हल्की सी मुस्कान हमेशा रहती थी। उसे देखकर ऐसा लगता था कि यह मुस्कान झूठी है, अपने मन को हल्का रखने के लिए सिर्फ दिखावट है जैसे एक बीमार व्यक्ति को खूबसूरत कपड़े पहना दिए गए हों।
"माफ़ करना करन यार आज फिर लेट हो गई"
"ये तुम्हरा हर बार का काम है फिर माफ़ी क्यों माँगती हो"
"कसम से मेरी जान, आज बहुत ज्यादा जरूरी काम आ गया था"
"अच्छा ! जरा मुझे भी तो बता कि कितना ज़रूरी था तेरा काम"
"अरे वो आकाश है ना, वो मुझे कॉफी के लिए पूछ रहा था, बड़ी मुश्किल से पीछा छुड़ा कर आई हूँ।"
"वही आकाश ना जो तुमसे प्यार करता है, बेचारे को क्यों परेशान कर रही हो"
"अच्छा, बड़ी फ़िक्र हो रही है उसकी, चल ठीक है तेरी बात मान ली, बस एक शर्त पर"
"बोल क्या शर्त है"
"अपनी डायरी दे मुझे पढ़ने को"
"मरने दे साले को मुझे क्या पड़ी है"
करन का जवाब सुनकर कविता जोर से हँसने लगी। करन की दोस्ती कविता से लगभग 8 सालों से थी, वो कॉलेज में एक साथ पढ़े थे। कविता करन के बारे में उसके परिवार के बारे में सबकुछ जानती थी सिवाय उसकी डायरी के।
"अच्छा करन, एक बात बता ये डायरी मुझे क्यों नहीं पढ़ने देता, कम से कम कारण तो बता, जिससे मुझे तसल्ली तो रहे"
"तुझे मैं मना कर कर के परेशान हो गया पर तू है कि मानती ही नहीं, क्या करेगी इसे पढ़कर"
"करन प्लीज, तेरे हाथ जोड़ लूँ"
"हट पागल क्या कर रही है, तू मेरी सबसे अच्छी दोस्त है ऐसा नहीं करते"
"दोस्त भी कहता है और बात भी नहीं मानता "
"अरे मेरी प्यारी दोस्त समझा करो, अगर तुमने इसे पढ़ा तो हमारी दोस्ती ख़त्म हो जाएगी"
"वो क्यों"
"बस ऐसे ही"
कविता और करन वहाँ बहुत देर तक बात करते रहे और फिर चले गए, डायरी का विषय उनका रोज़ का था, कविता पढ़ने के लिए माँगती थी और करन मना कर देता था। लेकिन कविता की समझ में ये नहीं आता था कि वो उसकी दोस्त वो उसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार था फिर एक डायरी को क्यों नही दे रहा था।
कहानी आगे जारी है ...