डिजिटल इंडिया  बिजेंद्र दलपति

डिजिटल इंडिया

भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के 'डिजिटल इंडिया' को समर्पित। यह कहानी पूर्णतः सत्य घटना पर आधारित है।

जब अलार्म बजा तो सुबह के 3 बज चुके थे। मन नहीं कर रहा था कि उठूँ। पर आज तो बड़ौदा के लिए मेरी ट्रेन है। चूँकि 6 बजे मेरी बड़ौदा के लिए ट्रैन थी और रेलवे स्टेशन मेरे घर से 35 किलोमीटर दूर है, मुझे सुबह जल्दी ही जगना पड़ता है। आज मैं घर से अकेले ही बड़ौदा जा रहा था। इसलिए चाहता था कि घर में बिताने के लिए थोड़ा समय और मिल जाता तो मजा आ जाता। वैसे भी जिस समय हम चाहते हैं कि समय थोड़ा धीरे चले तभी और तेज भागने लगता है।

मैंने, मेरे बगल में सो रही मेरी धर्मपत्नी जी को जगाया। वो नहा-धो के मेरे ट्रेन में खाने के लिए पूड़ी-सब्जी बनाने लग गयी। मैं तभी मेरे स्मार्ट फ़ोन के एक एप में ट्रेन का स्टेटस चेक करने लगा। अरे वाह! ट्रैन तो अभी डेढ़ घंटे लेट चल रही है। चलो घर पर मैं डेढ़ घंटे और बिता सकता हूँ। मन ही मन मैंने जियो वाले मुकेश अम्बानी जी को और डिजिटल इंडिया का नारा देने वाले मोदीजी को धन्यवाद कहा।

तक़रीबन साढ़े चार बज़े तक पत्नी जी मेरे खाने का इंतेज़ाम करके एक चाय भी पिला चुकी थी। तभी जोरों से बारिश होने लगी और मैं मन ही मन खुश होने लगा कि चलो ट्रेन और लेट हो जाएगी। मेरे एरिया में इस वक्त ट्रेन ट्रेक की मरम्मत चल रही है। इसलिए बारिश होते ही ट्रेन धीमी चलने लगती है। मैं फटाफट एप में चेक करने लगा। वाह ट्रेन अब 2 घंटे लेट चल रही थी।

मैं, मेरी पत्नी और मम्मी के साथ बैठ कर बातें करने लगा। हमें 2 घंटे और मिल चुके थे। इसलिए मैं इसका पूरा फ़ायदा उठाना चहता था। चूँकि अब ट्रेन लगभग 8 बज़े आने वाली थी, मैं घर से साढ़े 6 बजे फिर से डिजिटल इंडिया वाले नारे को धन्यवाद कहते हुए निकला। अगर स्मार्ट फ़ोन और इंटरनेट ना होता तो मैं ये क़ीमती 2 घंटे खो देता।

जैसे ही मैं रेलवे स्टेशन पहुँचा मैं मेरे स्मार्ट फ़ोन में ट्रेन स्टेटस चेक करने लगा। फ़िर मैंने सोचा कि जब स्टेशन में ही हूँ तो क्यों ना पूछताछ में ही चेक कर लूँ। क्या पता इंटेरनेट और एप में सही टाइम दिखाए ना दिखाए।

ये सोचते हुए मैं पूछताछ में पहुँचा। और वहाँ बैठे शक्स से पूछा, "भैया, पुरी-अहमदाबाद ट्रेन कब आएगी?" वो बन्दा थोड़ा नीचे झाँका और बोला, "सवा 8 बजे"।

मैंने देखा कि उसके बगल में एक कंप्यूटर रखा हुआ है पर वो उसमें नहीं देखा और ट्रैन का टाइम बता रहा है। मैं उत्सुकता से पूछा, "भैया आप कंप्यूटर में बिना देखे ही कैसे बता रहे हो?" उसने नीचे रखा अपना स्मार्ट फ़ोन उठाया और कहा, "यहाँ से"।उसके स्मार्ट फ़ोन में वही एप खुला हुआ था जिससे मैं ट्रैन का स्टेटस चेक कर रहा था।

मैं मन ही मन हँसा और कहा, "वाह! डिजिटल इंडिया"।

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